Monday, July 25, 2011

A humble attempt at a Hindi / Urdu poem

A tribute to all my FRIENDS...

अक्षरों को जोड़ के शब्द बनते हैं
उनमे रूमानी मिला दो, अलफ़ाज़ बन जाते हैं

अल्फाज़ों को जोड़ के पंक्तियाँ बनती हैं
उनमे सुर मिला दो, तो गीत बन जाते हैं

क्षणों को जोड़ के दिन बनते हैं; दिन महिने, और महिने साल बनते हैं
उनमे अपने आप को घोल दो, तो यादें बन जाती हैं

यादों को समेटते चलो, सदियाँ बन जाती हैं
सदियों में अपना वजूद मिला दो तो ज़िन्दगी बन जाती हैं

ज़िन्दगी में दो को शामिल कर लो; तो मिसाल बन जाती है
दोस्ती को शिद्दत से निभा दो, तो बेमिसाल बन जाती हैं